Pauranik Katha-Kosh | Anil Prakashan(Hardcover, Dr. Ramsharan Gaur)
Quick Overview
Product Price Comparison
पुराण भारतीय समाज और संस्कृति की बहुमूल्य धरोहर हैं। प्राचीन काल से लेकर अब तक पुराणों से आगत कथाओं का न सिर्फ समाज में प्रचलन रहा है, बल्कि इनसे भारतीय साहित्य भी प्रभावित हुआ है।पौराणिक कथाओं का हिन्दी साहित्य में रचनाकारों द्वारा भाव और विचारों की सार्थक अभिव्यक्ति और प्रभावी संप्रेषणयिता के लिए विभिन्न संदर्भों में प्रयोग किया गया है। इन कथाओं एवं इनके प्रयोग संदर्भों का परिचय प्राप्त किये बिना हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों और अध्येताओं को हिन्दी साहित्य और उसकी मूल चेतना को जानना संभव नहीं है।प्रस्तुत कोश का प्रथम खण्ड "पौराणिक कथा-स्रोत" जहाँ हिन्दी काव्य में प्रयुक्त विभिन्न पौराणिक कथाओं का उनके संदर्भों के साथ परिचय देता है तो इसका द्वितीय खण्ड "हिन्दी काव्य में पौराणिक कथाओं के अनुप्रयोग" में पौराणिक कथाओं के प्रयोग के स्वरूप-आलंकारिक, दृष्टांतमूलक, वचन-वक्रतामूलक प्रयोग एवं व्यक्त जीवन-दर्शन की समग्र जानकारी देता है। अतः यह ग्रंथ हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों और अध्येताओं के लिए सर्वथा उपयोगी, संग्रहणीय और महत्त्वपूर्ण है।